ज्येष्ठा नक्षत्र फल
ज्येष्ठादौ जननींमाता द्वितीये जननी पिता ।
तृतीये जननीभ्रातास्वयं माता चतुर्थके।आत्मानं पञ्च मे हन्ति षष्टेगोत्रक्षयौ भवेत. । सप्तमे चोभय कुल ज्येष्ठभ्रातरमष्टमे। नवमे श्वसुर हन्ति सर्व इन्ति दशांश कम ॥
टीका-६० घड़ी के दस भाग करे फिर छः छःघड़ी का फल कहे ज्येष्ठा नक्षत्र की पहली ६ घड़ी में जो जातक का जन्म हो तो नानी को अशुभ । दूसरी ६ घड़ी में नाना को कष्ट | तीसरे ६ घड़ी में मामा को कष्ट । चौथी घड़ी में माता को कष्ट । पांचवीं ६ घड़ी में बालक को कष्ट । छटी ६ घड़ी में गोत्र वालों को कष्ट । सातवीं ६ घड़ी में नाना के परिवार को और अपने कुटुम्ब को कष्ट । आठवीं ६ घड़ी में बड़े भ्राताको कष्ट । नवीं ६ घड़ी में ससुर को कष्ट । दशवीं ६ घड़ी में सब कुटुम्ब को कष्ट कहै ।
ॐ सइषुहस्तैः सनिषं गीर्मिर्व्व शीस गूं सृष्टा सयुघऽइंद्रो गणेन ।
सगूंसृष्ट जित्सोमपावाहु शद्धर्युग्र धन्वाप्रति हिताभिरस्ता ॥३।।
।।ज्येष्ठा नक्षत्र फल।।
ज्येष्ठादौ जननींमाता द्वितीये जननी पिता ।तृतीये जननीभ्रातास्वयं माता चतुर्थके।
आत्मानं पञ्चमे हन्ति षष्टेगोत्रक्षयौ भवेत् । सप्तमे चोभयं कुल ज्येष्ठभ्रातरमष्टमे। नवमे श्वसुरं हन्ति सर्वं हन्ति दशांशकम ॥
टीका-६० घड़ी के दस भाग करे फिर छः छःघड़ी का फल कहे ज्येष्ठा नक्षत्र की पहली ६ घड़ी में जो जातक का जन्म हो तो नानी को अशुभ । दूसरी ६ घड़ी में नाना को कष्ट | तीसरे ६ घड़ी में मामा को कष्ट । चौथी घड़ी में माता को कष्ट । पांचवीं ६ घड़ी में बालक को कष्ट । छटी ६ घड़ी में गोत्र वालों को कष्ट । सातवीं ६ घड़ी में नाना के परिवार को और अपने कुटुम्ब को कष्ट । आठवीं ६ घड़ी में बड़े भ्राताको कष्ट । नवीं ६ घड़ी में ससुर को कष्ट । दशवीं ६ घड़ी में सब कुटुम्ब को कष्ट कहै ।