।।अथ मूल नक्षत्र मंत्रः।।
ॐ मातेव पुत्रम्पृथिवी पुरीष्प मग्नि ॐ स्वेयो नाव
मारुषा तां विश्वेदेवऋतुभिः संविदानः प्रजापति
विश्वकर्मा विमुचतु ॥ १ ॥
।।श्लेषा मंत्र।।
ॐ नमोस्तुसर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ।
ये अन्तरक्षे ये दिवितेभ्यः सर्पेभ्यो नमः ॥ २ ॥
।।ज्येष्ठा मंत्र।।
ॐ सइषुहस्तैः सनिषं गीर्मिर्व्व शीस गूं
सृष्टा सयुघऽइंद्रो गणेन ।
सगूंसृष्ट जित्सोमपावाहु
शद्धर्युग्र धन्वाप्रति हिताभिरस्ता ॥३।।
।।अश्विनी मंत्र।।
ॐ अश्विनीतेजसाचक्षुः प्राणेन सरस्वती वीर्यम्
वाचेन्द्रवलेन्द्रायदधुरिन्द्रियम |ॐ अश्विभ्यानमः।। ४।।
।
अश्विन नक्षत्र के प्रथम चरण में बालक का जन्म हो तो
पिता को बाधा हो, दिन में जन्म होतो पिता को कष्ट, रात्रि में जन्म
हो तो माता को कष्ट,संध्या में हो तो अपने को कष्ट हो ।
।।मघा मंत्र।।
ॐ पितृभ्यः स्वधा यिभ्य: स्वधानमः पितामहेभ्यः
स्वधायिभ्यः स्वधानमः प्रयितोमहेभ्य स्वधायिभ्यः
स्वधानमः अक्षन्नपितरोऽमीमदन्तपितरोऽतीतपंत-
पितरः शुन्धध्वम ॥ ५ ॥
मघा के प्रथमचरण में जन्म होतो मातृपक्षकोकष्ट द्वितीयमेषताको
कष्ट। तृतीय चरण में सुख संवित, चतुर्थ चरण में धनप्राप्ति हो ।
।।रेवती मन्त्र।।
ॐ पूषन तवब्र तेवयन्तरिष्येम कदाचनस्तोतारस्त
इहिस्मसि ॥ ६ ॥ ॐ पूष्णे नमः ||
रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में राजा हो, दूसरे चरण में मन्त्री
तृतीय चरण में सुख सम्पति, चतुर्थ चरण में स्वयं को कष्ट हो।