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प्रसङ्गानुसार चतुर्युग व्यवस्था

कार्तिक शुक्ल नवमी,प्रथम प्रहर, श्रवण नक्षत्र एवं वृद्धि एवं योग में कृतयुग की उत्पत्ति हुई। सन्ध्या- सन्ध्यांश के सहित कृतयुग का मान 1728000 सौर वर्ष है। इस युग में भगवान के मत्स्य, कूर्म, वराह एवं नरसिंह अवतार हुए। पाप तथा पूण्य 20 था। इस युग में हिरण्यकश्यप, प्रहलाद, बलि, बाणासुर आदि धर्मिष्ठ एवं राजा थे। वैशाख शुक्ल तृतीया सोमवार रोहिणी नक्षत्र द्वितीय प्रहर एवं शोभन योग में त्रेता युग का आरंभ हुआ। सन्ध्या एवं सन्ध्यांश के सहित इसका मान 1296000 सौरवर्ष वर्ष है। इस युग में वामन, परशुराम एवं राम यह तीन अवतार हुए, पाप 5 तथा पूण्य 15था। इस युग में विश्वामित्र, भगीरथ, दिलीप, मकरध्वज, दशरथ, राम, लव, कुश इत्यादि राजा हुए। माघ कृष्ण अमावस्या शुक्रवार तृतीय प्रहर, धनिष्ठा नक्षत्र एवं वरीयान योग में द्वापर युगारंभ हुआ। सन्ध्या- सन्ध्यांश के सहित इसका मान 864000 वर्ष है। इस युग में पाप 10 तथा पुणे भी 10 था। भगवान कृष्ण तथा बुद्ध यह दो अवतार तथा अंङ्गपांडु ,युधिष्ठिर ,परीक्षित्र आदि धर्मनिष्ठ राजा हुए। भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी रविवार रात्रि कृतिका का नक्षत्र एवं व्यतिपात योग में कलयुग का आरंभ हुआ। सन्ध्या- सन्ध्यांश के सहित इसका मान 432000 सौर वर्ष है।इस युग में पाप 15 तथा पूण्य 5 रहेगा। इस युग में वर्ण व्यवस्था नहीं रहेगी तथा भूमि बीज हीन हो जाएगी।

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