Shravan Mas (श्रावण मास) is a sacred month dedicated entirely to the worship of Bhagwan Shiva( भगवान शिव). It is a time when devotees immerse themselves in prayer, fasting, and rituals to seek the blessings of the destroyer of evil and the harbinger of transformation.
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।।ऊं नमः शिवाय।।
‘शिव’ और ‘रुद्र’ ब्रह्मके ही पर्यायवाची शब्द हैं। शिवको रुद्र इसलिये कहा जाता है – ये ‘रुत्’ अर्थात् दु:खको विनष्ट कर देते हैं –
‘रुतम्- दुःखम्, द्रावयति-नाशयतीति रुद्रः ।’
रुद्रभगवान्की श्रेष्ठताके विषयमें रुद्रहृदयोपनिषद्में इस प्रकार लिखा है- सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवाः शिवात्मकाः ।
आशुतोष भगवान सदाशिव उपासको के लिए श्रावण का महीना अत्यन्त प्रिय माना गया है और अबकी बार अधिमास भी श्रावण के महीने में पड़ने से दोहरा पुण्य प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। वैसे तो श्रावण महीने के, प्रत्येक दिन ही महत्वपूर्ण होते है फिर भी सोमवार का
दिन भगवान को अत्यन्त प्रिय है|
(श्रावणमास के कृत्य)
जो मनुष्य श्रावण मास में मासपर्यन्त एक समय भोजन करने और भगवान का अभिषेक करने से वंश तथा जाति की वृद्धि होती है।
(महाभारत)
श्रावण मास मेंदूध, घी, धेनू का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं ऐसा विद्वानों ने कहा है। श्रावण पास में एक बार भोजन करना तथा विष्णु और शिव का अभिषेक कराना चाहिये। (वामन पुराण ) वायुपुराणमें लिखा है-
यश्च सागरपर्यन्तां सशैलवनकाननाम् । सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम् ॥
दद्यात् काञ्चनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम् । तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद्रुद्रजपाद्भवेत् ॥
यश्च रुद्राञ्जपेन्नित्यं ध्यायमानो महेश्वरम् । स तेनैव च देहेन रुद्रः सञ्जायते ध्रुवम्॥
अर्थात् जो व्यक्ति समुद्रपर्यन्त वन, पर्वत, जल एवं वृक्षोंसे युक्त तथा श्रेष्ठ गुणोंसे युक्त ऐसी पृथ्वीका दान करता है, जो धन-धान्य, सुवर्ण और औषधियोंसे युक्त है, उससे भी अधिक पुण्य एक बारके ‘रुद्रीजप’ एवं ‘रुद्राभिषेक’- का है। इसलिये जो भगवान् रुद्रका ध्यान करके रुद्रीका पाठ करता है अथवा रुद्राभिषेक यज्ञ करता है, वह उसी देहसे निश्चित ही रुद्ररूप हो जाता है, इसमें संदेह नहीं है।